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होली है रंगीन बड़ी…

आत्मचिंतन
आत्मचिंतन
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होली है रंगीन बड़ी, ये खुशियाँ ले कर आती है
रंगों और गुलाल से, ये सब का दिल बहलाती है

होती है रंगों की वर्षा, उड़ती गुलाल की फुहार
सूरज के किरणों के साथ, होती खुशियों की बौछार
चन्दन की खुशबू के साथ, मिलता है अपनों का प्यार
बच्चे ख़ुशी से झूम उठते, सब को रंग में रंग देते

गुझियाँ और मिठाईयों का, स्वाद निराला होता है
जम के खाते बच्चे – बूढ़े , मस्त हो के सोते हैं
जब पी लेते हैं भांग, तो थोड़े शरारती होते हैं
दिन में भी उन्हें परियाँ दिखती, खुद हवा में उड़ते हैं

रंगों के गुब्बारे फूटते, ढोल और ताशे बजते हैं
मेहमानों का स्वागत होता, रंगों और गुलालों से
उत्सव सा माहौल है होता, जब ये होली आती है
दुश्मन को भी दोस्त बना दे, यही हमे सिखलाती

होली है रंगीन बड़ी, ये खुशियाँ ले कर आती है
रंगों और गुलाल से, ये सब का दिल बहलाती है

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