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फूलों की दुनिया…

आत्मचिंतन
आत्मचिंतन
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फूलों की दुनिया रंगीन
लाजवाब, बड़ी हसीन,
मिले रंग तो आये मिठास
चुभें कांटें लगे नमकीन.

भीनी-भीनी खुशबू इनकी
भंवरों को ललचाती है,
घुल के मस्त फिजाओं में
मौसम नया बनाती है.
आगाज़ प्यार का होता इनसे
सजते जब बजती शहनाई,
होती प्रभु-आराधना तो
भक्तिमय देते दिखाई.
बसंत की दस्तक माने जाते
झूम-झूम के लहराते,
बन के उपमा कोमलता की
दुनिया में पहचाने जाते.

होती बात निराली इनकी
शहद भरी प्याली इनकी,
होती नहीं शाम कोई ऐसी
जाती जो खाली इनकी.

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